बेटी का जन्म हिंदी कहानी
बेटी का जन्म हिंदी कहानी – एक घर में मधु नाम की लड़की रहती थी ,मधु अपने पापा की बहुत ही लाड़ली थी वो हमेशा अपने पापा की मदद किया करती थी। एक दिन उसके पापा उसे कुर्ते में बटन लगाने के लिए देते है और वह कुर्ते में बटन लगा के ले आती है तो उसके पापा उसे सबासी देते है और कहते है अब तुझे सिलाई भी सिख लेनी चाहिए क्या पता ससुराल में काम आ जाये ,इस मधु कहती की क्या पापा आप फिर मेरी सादी की बात कर बैठे मैं तो यही आप के पास रहना चाहती हु ,पापा कहते हां हां मेरी लाड़ली तुम अपने पापा के पास ही रहो। धीरे -धीरे मधु के पापा ने उसे सिलाई करना सीखा दिया मधु को सिलाई करना बहुत ही पसंद था तो अक्सर अपने पापा की दुकान में काम किया करती थी। एक दिन उसकी दुकान में रोहित नाम का लड़का आया और उसे मधु पसंद आ गयी ,रोहित ने मधु के पापा से अपनी सादी मधु के साथ करने के लिए मधु के पापा से बात की मधु के पापा मान गए और मधु की सादी कुछ दिनों बाद रोहित से करा दी। रोहित एक अच्छी नौकरी करता था इसी लिए सुरु सुरु में सब ठीक चल रहा था। दो साल बीत गए और मधु ने दो साल बाद एक बेटी को जन्म दिया।
मधु ने रोहित से कहा की देखिये जी कितनी प्यारी है हमारी बेटे इस पर रोहित बोला अब क्या देखु तुमने मुझे कुछ देखने लायक छोड़ा है क्या, मेरे घर वाले सब बेटे का इंतिजार कर रहे थे की उनके घर का वारिष आने वाला है अब किस मुँह से उन्हें बताऊ की तुमने एक लड़की को जन्म दिया है ,मधु बोली लड़का हो या लड़की पर है ये तो हमारी ही न ,रोहित बोला ये लड़की सिर्फ तुम्हारी है मेरी नहीं ,यह कहकर रोहित वह से चला गया और मधु रोने लगी। कुछ देर बाद वहा पर मधु के पापा आये मधु ने साड़ी बात अपने पापा को बताई ,तो उसके पापा बोले तू फ़िक्र मत कर मैं दामाद जी से बात करुँगी सब ठीक हो जाएगा ,पर उस लड़की को अपनाएंगे क्या ,क्यों नहीं अपनायेंगे आखिर उसका अपना खून है। मधु के पापा उसे दिलाशा देने लगे और उसके बाद वह रोहित से मिलने उसके घर गए और रोहित से बोले बेटा रोहित तुम इतने समझदार हो बेटा ,बेटी होना तो ऊपर वाले के हाथ में है उसमे मधु का क्या कसूर हो सकता है की तुम्हे अगली बार बेटा हो।

रोहित ने मधु के पापा की बात मान ली और वो मधु को लेने हॉस्पिटल गया रोहित मधु को घर तो ले आया पर वो खुश नहीं था। एक दिन मधु की बेटी रो रही थी इस पर रोहित बोला अरे वो मधु इस लड़की के आवाज सुनकर कान के परदे फैट गए है मेरी माँ इसको छुप करवाओ ,रोहित अपनी बेटी को जरा सा भी नहीं चाहता था ,जैसे तैसे कुछ दिन बीत गए और मधु फिर से गर्भवती होगई। रोहित बोला इस बार अगर लड़का नहीं हुआ तो तुम्हे तुम्हारे पापा के घर भेज दूंगा समझी। आखिर कर वह समाय आ गया और मधु को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और रोहित बहार इंतिजार करने लगा। और कुछ देर बाद नर्स आती है और कहती है मुबारख हो आप को लड़की हुई है। यह सुनते ही रोहित निराश हो गया और वह तुरंत वह से चला गया। नर्स अंदर आयी और मधु को बताया की आप के पति ऐसे चले क्यों गए वो कहा गए ,मधु रोहित को रोकने उठ ही रही थी तभी उसके पापा वहा आ गए और मधु बोली पापा वो गुस्से में चले गए फिर बेटी हुई है और रोने लगी ,उसके पापा बोले अब क्या कर सकते है जो परमात्मा ने लिखा है वो तो होगी है मधु अपने पापा के गले लग कर रोने लगी।
मधु के पापा एक बार फिर रोहित से मिलने गए और रोहित बोला इस बार मुझे कुछ सुन्ना नहीं है आप चुप चाप अपनी बेटी और उसकी बेटियों को अपने साथ ले जाईये ,मधु के पापा बोले पर वो बच्चिंया तुम्हारी भी है ,रोहित बोला उन लड़कियों से मेरा कोई वास्ता नहीं है ये सुनकर मधु के पापा हताश होकर वह से चले गए ,वो मधु और उसकी दोनों बेटियों को अपने घर ले गए। मधु के पापा की उम्र हो गयी थी लेकिन फिर भी वो सिलाई का काम करते थे ताकि वो मधु और उनकी बेटियों को अच्छे से पाल सके। लेकिन दो साल बाद मधु के पापा चल बसे अब मधु के पास कोई सहारा नहीं था। मधु ने अपने आप को संभाला और खुद सिलाई का काम करने लगी वो अपनी दोनों बेटियों को संभालती थी और सिलाई भी करती थी ,देखते -देखते उसकी दोनों बेतिया बड़ी हो गयी और स्कूल जाने लगी। मधु की बड़ी बेटी माया स्पोर्ट में बहुत अच्छी थी उसके टीचर मधु से बोले मैं आप की परिस्थिति जानता हु पर आप माया को सापोरट करे वो टैलेंटेड है वो बहुत जल्द ही आप का नाम रोशन करेगी।
मधु बोली सर जितना मुझसे होसकता है मैं करुँगी ,मधु दूकान पर ओवर टाइम काम करने लगी ताकि वह माया को जरुरत मंद खाना और स्पोर्ट की जरुरत मंद सामान दिलवा सके। माया भी जी जान लगा कर मेहनत कर रही थी ,एक दोनों माँ बेटियों की मेहनत रंग लायी और माया ने स्टेट लेवल में गोल्ड जीत हासिल की ,माया ने पानी माँ नाम रौशन कर दिया। रोहित अख़बार पढ़ रहा था तब उसने अख़बार में उनकी तस्वीर देखि ये तस्वीर देखकर रोहित सोच में पड गया की आज उसका भी नाम अख़बार में होता यदि वह अपनी पत्नी और बेटियों को अकेला न छोड़ देता उसकी इच्छा थी वापस जाकर अपनी पत्नी से गलती की माफ़ी मांगे पर अब किस मुँह से जाये। इस तरह बेटा और बेटियों में भेद रखने वाले इंसान एक दिन पछताते है ,इसलिए हम सभी को बेटा बेटी में भेद नहीं करना चाहिए आखिर बेटी भी तो हमारी औलाद होती है इसलिए जितना प्यार हम बेटे को करते है उतना ही प्यार बेटी को करना चाहिए क्यूंकि एक दिन बेटी भी आप का नाम रोसन जरूर करेगी।
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Beti Ka janam hindi kahani