लॉकडाउन की जिंदगी हिंदी कहानी / Carona Virus Time
लॉकडाउन की जिंदगी हिंदी कहानी / Carona Virus Time
Carona kal me Lockdown ki Kahani – महामारी कोविड-१९ के चलते चारो तरफ पुरे देश में लॉक डाउन चल रहा था सब लोग अपने – अपने घरो में बंद थे कुछ लोगो की जिंदगी अच्छे से कट रही थी पर कुछ के लिए खाना भी नशीब नहीं हो प् रहा था। इनमे से एक परिवार था जिसमे माँ बाप बेटा सोनू और बेटी रानी रहते थे। सोनू थोड़ा घमंडी स्वभाव का था उसको अपने आस पास के लोगो से कोई मतलब नहीं राहता था। रानी बड़े दयालु और सरल स्वभाव की थी ,सोनू और रानी में कभी नहीं बनती थी किसी न किसी बात पर हमेश वे दोनों आपस में लड़ते रहते थे। ..
रानी बोली सोनू तूने फिर से सारी किताबे फैला दी इन्हे मैंने अभी तो सही तरीके से रक्खा था ,सोनू बोलता तो फिर से रख दे कौन सा तुझे स्कूल जाना है सारा दिन घर में ही तो रहती है तू ,तू भी तो घर में ही रहती है कुछ तू भी कर लिया कर। सोनू अपने कमरे से बहार चला जाता है और किचेन में जाकर बिस्कुट खाने लगता है उसमे से कुछ खाता है और कुछ टुकड़े जमीं पर फेक देता है तभी अचानक उसकी माँ वह आ जाती है और उसे डाटने लगती है। उसकी माँ कहती सोनू तू ये क्या करता रहता है तुझे पता है न की बहार लॉक डाउन चल रहा है कुछ भी सामान बड़ी मुश्किल से बहार मिलता है तझे क्या तुझे तो सिर्फ बर्बाद करना आता है। माँ की आवाज सुनकर रानी भी वह आ जाती है और सोनू की इस हरकत को देख कर थोड़ा दुखी हो जाती है। ..
तभी रानी अपने घर के बालकनी से बहार देखती है की सामने बूढी आंटी के घर के सामने लोगो की लाइन लगी हुई है यह बात सच्ची अपनी माँ से पूछती है की माँ बहार वह लाइन किस लिए लगी है बहार तो लॉक डाउन चल रहा है न ,है बेटा पर कुछ लोग ऐसे भी है की उन्हें दो वक़्त का खाना भी नशीब में नहीं है वह आंटी उनको खाना बाट रही है इसलिए लोग खाने के लिए लाइन में लगे है। रानी कहती माँ क्या हम लोग उन लोगो की मदद नहीं कर सकते हमारे पास पैसे भी है माँ तुम पापा से कहो न कुछ करने को ,सोनू पीछे खड़ा यह बाट सुन रहा था और बोला तू पागल है क्या हम अपने पैसे की चीज़ उन्हें क्यों दे। तभी फ़ोन की घंटी बजती है और सोनू की माँ फ़ोन उठाती है और वह फ़ोन में कहती है आप कहा है आप कब आयंगे ,उधर से उनके हस्बैंड कहते है की मैं नहीं आ पाउँगा इस समय मैं हैदराबाद में हू लॉक डाउन की वजह से मैं नहीं आ प् रहा हू तुम सब अपना ख्याल रखना।….
रानी की माँ बहुत उदाश होकर सोचने लगती है। न जाने हमारे पति को खाना मिल भी पायेगा की नहीं होटल बंद है रेल बंद है। इधर सोनू की मस्ती दिन ब दिन बढ़ती जा रही है वह माँ को रोज परेशांन करता आज ये बना दो आज वो बना दो ये अच्छा नहीं लगता वो चाहिए इससे उसकी माँ बहुत परेशांन हो जाती है धीरे – धीरे एक हप्ता बीत जाता है सोनू के पापा घर नहीं आये है सोनू की माँ और रानी हमेशा पापा के लिए परेशांन रहती थी। वो सोचती क्या होगा किसे होगा क्या कर रहे होंगे। उधर सोनू के पापा जब भी फ़ोन करते अपनी परेशानियों को कभी नहीं बताते क्यूंकि खमोखा उमा परेशांन होगी। एक दिन की बात है सोनू सारा खाना यह कह कर छोड़ देता है की उसे खाना बिलकुल अच्छा नहीं लगा और कहता माँ तुम्हे क्या हो गया है तुम कैसा खाना बनाती हो ये भी कोई खाना है मैं नहीं खाऊंगा ले जाओ इसे यहाँ से ,रानी कहती सोनू क्या तरीका है ये माँ से बात करने का ,बहार लोगो को तो खाना भी नशीब नहीं हो रहा पापा भी नहीं आ प् रहे घर कहा से आएगा अच्छा खाना अगर तुम यु ही खाना वेस्ट करते रहे तो हमें भी एक दिन सामने वाली आंटी के दरवाजे पर खाने के लिए लाइन लगाना होगा। सोनू कहता जा न यहाँ से क्यों दिमाग खा रही है अपना काम कर जाके जा न…
तभी मोबाइल पर पापा का वीडियो कॉल आता है पापा पूछते है बच्चे कैसे है ,ठीक है आप कैसे हो कुछ खाया की नहीं आप बहुत परेशांन लग रहे हो ,है उमा मैं थोड़ा परेशांन हू क्यूंकि खाना लेने के लिए रोज लाइन में खड़ा होना पड़ता है तब जाकर कही खाना मिलता है। पापा मम्मी से बात कर रहे थे तो पास में ही बैठा सोनू पापा की बात सुन रहा था अचानक सोनू मम्मी के पास आता है और मम्मी से फ़ोन लेकर पापा से बात करने लगता है पापा आप ने अभी क्या बोला आप को खाने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है। बात करते करते सोनू की आँखों में अंशु आ जाते है और वो माँ को मोबाइल दे कर अपने कमरे में चला जाता है ये देख कर रानी सोनू के कमरे में जाती है और सोनू से पूछती है सोनू क्या हूआ तुम्हारी आँखों में आँशु सोनू बोला है रानू मैंने कभी नहीं सोचा खाने के लिए हमारे पापा को लाइन में लगना पड़ेगा सोनू यह बात कह कर रोने लगता है …

रानी कहती सोनू रो मत तेरे ऊपर आँशु अच्छे नहीं लगते बस तू खाना वेस्ट करना छोड़ दे अगर तू ये खाना नहीं खायेगा तो हम ये खाना किसी और को दे दूंगा हम किसी एक की तो मदद कर सकते है वह निचे जो लाइन में लगे है वो भी तो किसी न किसी के पापा है रानी और सोनू की बात सुनकर उसकी माँ भी वह आ जाती है। सोनू अपनी माँ से कहता है माँ मुझे माफ़ कर दो अब मैं खाने की कोई भी चीज़ कभी वेस्ट नहीं करुंगा रानी तू भी मुझे माफ़ कर दे तुझे भी अब नहीं सताऊंगा। हमे इस कहानी से ये सीख मिलती है की हमें किसी भी चीज़ को बर्बाद नहीं करना चाहिए क्यूंकि एसा समय चल रहा है की इस समय में हर एक चीज़ की कीमत दोगुनी है।