लालच का फल हिंदी कहानी / लालची भाई
Lalach ka fal hindi kahani – एक गांव में तीन भाई रहते थे जिनका नाम शोहन ,मोहन और रोहन था। तीनो भाई एक सेठ के वंहा नौकरी करते थे एक दिन तीनो भाई घर पर विश्राम कर रहे थे तभी दरवाजे पर खटखटने की आवाज हुई तीनो भी बहार आये तो देखा की सामने फाटे पुराने कपडे पहने एक फ़क़ीर खड़ा है तीनो बोले बाबा हम तीनो आप की सेवा में उपस्थित है किर्पया घर में प्रवेश करे तीनो भाइयो ने उस बाबा की बहुत मदद की वह बाबा उनकी सेवा से बहुत खुश हुआ और उनको आशीर्वाद दिया और बोला तुम गरीबो की मदद करते हो मैं चाहता हु की तुम तीनो मेरे साथ चलो मैं तुम्हे ऐसा काम बताऊंगा की तुम्हारे सारे दुःख दूर हो जायेंगे।..
तीनो भाई उस फ़कीर के साथ चल दिए और चलते चलते गांव से दूर निकल गए अचानक फ़कीर रुक गया और शोहन से कुछ मांगने के लिए कहा ,शोहन ने मौका देख कर तुरंत बोला बाबा मैं बहुत सारी उपजाऊ जमीं चाहता हु मैं उस पर ढेर सारा अन्न उगना चाहता हु फ़कीर ने अपनी झोली से कुछ फूल निकाले और धरती पर बिखेर दिए , देखते ही देखते एक बहुत बड़ा उपजाऊ खेत सामने तैयार हो गया फ़कीर बोला इतना बड़ा खेत काफी होगा शोहन का लालच बढ़ गया और बोला की इस खेत पर अच्छी फसल भी होती तो जायदा अच्छा था,फ़कीर समझ गया की शोहन के मन में लालच आ गया है लेकिन फिर भी फ़कीर ने अपनी झोली से मोती निकले और जमीं पर फेक दिए और देखते ही देखते गेहू की फसल तैयार हो गयी ,तीनो भाई इस चमत्कार को देखकर हैरान हो गए।…

फ़कीर बोला की अब तुम इस फसल की कटाई करो और धन कमाओ यह कहकर वह उन दोनों भाइयो को लेकर आगे चल दिया कुछ दूर चलकर उन्हें एक भेड़ दिखाई दिया उसे देख कर मोहन बोला मैं पशुपालन का धंधा करना चाहता हु मेरी इच्छा है की मेरे पास बहुत से भेड़ हो मोहन का इतना कहना था की फ़कीर ने झोले से मोती निकले और जमीं पर फेक दिए देखते ही देखते हजारो भेड़ बन गए। फ़कीर और रोहन आगे निकल गए चलते – चलते वे बहुत दूर निकल गए फिर एक जगह वे रुके फिर वह पर उन्होंने वह पर ठंडा मीठा पानी पिया तभी फ़कीर ने रोहन से पूंछा की तुम क्या करना चाहते हो रोहन बोला मैं फूल उगना चाहता हु फ़कीर ने अपनी झोली से मोती निकले और धरती पर बिखेर दिया देखते ही देखते वह पर हरे भरे फूल उग आये….
और फ़कीर बोला अब हफ्ते भर में इनमे फूल खिल आएंगे यह कह कर फ़कीर आगे चल दिया। अगले दिन तीनो भाई इकट्ठे हुए तीनो भाइयो के मन में लालच बढ़ता ही जा रहा था अब वे फ़कीर की झोली को हथियाना चाहते थे उनका मनना था की उस झोली में ऐसे मोती जिससे सारी मनोकामना पूरी की जा सकती है। अब तीनो भाई फकीर को ढूंढने चल दिए फ़कीर को ढूंढते -ढूंढते कई दिन बीत गए तीनो ने फ़कीर के मिलने की उन्मीद छोड़ दी और तीनो वापस अपने गांव चल दिए। गांव पहुंचकर वे देखते है की सही तरह से देख भाल न करने की वजह से सारी फसल नस्ट हो गयी, भेड़ भी सरे मर गए और फूल भी सरे मुरझा गए थे अब सबकुछ उनका नस्ट हो गया था तीनो भाई अपने आप को कोसने लगे परन्तु अब कोसने से कुछ नहीं मिलने वाला था अगर वह जयादा लालच नहीं करते तो वे धन के स्वामी होते। इसी कहा जाता है की जितना मिले उसी में संतोष करो जायदा के चक्कर में जो होता है वह भी नस्ट हो जाता है।